उत्तराखंड की सीमा से सटे हुए शक्ति पीठ शकुंभरी देवी के दर्शन के साथ साथ प्राचीन इतिहास खोजने पहुंची वी एस इन्डिया न्यूज तथा अपडेट मिडिया चैनल की टीम
नदी के दुर्गम रास्ते से गुजरते हुए सहारन पुर से पश्चिम की ओर चालीस किलोमीटर पर स्थित मां शकुंभरी देवी का सिद्ध पीठ है जहां पर आदि गुरु शंकराचार्य एवम आचार्य चाणक्य ने रहकर तप किया था
वी एस इन्डिया न्यूज चैनल के संपादक शिवाकांत पाठक एवम अपडेट मिडिया के रणविजय कुमार ने वहां पर मौजूद लोगो से जानकारी जुटाई तो जो तथ्य उभर कर सामने आए वे चौकाने वाले थे
चौहान वंश की कुल देवी मां शकुंभरी पूर्व में लक्ष्मण नाम के चौहान द्वारा अपना सिर काट कर मां को भेंट करने के पर वरदान का पात्र बन गया था,, जिसे मां ने वरदान दिया था कि वह राज करेगा
वी एस इन्डिया न्यूज चैनल परिवार की टीम ने वास्तविकता की समझा और महसूस किया कि सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बिंदु मां शकुंभरी देवी का अस्तित्व आज भी बरकरार है उनका दर्शन करने पर सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है
, केदारखंड के अनुसार यह शाकुम्भरी क्षेत्र है जिसकी महिमा अपार है। ब्रह्मपुराण मे इस पीठ को सिद्धपीठ कहा गया है अनेकों पुराणों और आगम ग्रंथों में यह पीठ परम पीठ, शक्तिपीठ,सतीपीठ और सिद्धपीठ नामों से चर्चित है। यह क्षेत्र भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान है। इस परम दुर्लभ तीर्थ क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ कहा जाता है।भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र मे गिरा था इसलिए इसकी गणना देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों मे होती है। उत्तर भारत की नौ देवियों की प्रसिद्ध यात्रा माँ शाकम्भरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नही होती। शिवालिक पर्वत पर स्थित यह शाकम्भरी देवी का सबसे प्राचीन तीर्