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कभी महसूस किया है खाकी वर्दी के पीछे छिपी वेदना!

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Apr 6, 2023

रात में हूटर की आवाज सुनाई देती है तब अहसास होता है को हम सुरक्षित हैं ,, लेकिन आपकी सुरक्षा करने वाले कितने सुरक्षित हैं ,, अपने परिवार,, गांव, बच्चों की ममता का गला घोंट कर 24 घंटे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए जान की परवाह न कर अपनी जिम्मेदारियों उत्तरदायित्वों का निर्वाहन करने वाली पुलिस के भी जनता की उपेक्षा पूर्ण बातें सुनना पड़ती हैं लेकिन फिर भी अपने दायित्वों से पीछे नहीं हटेंगे यह जज्बा उनके सीने में सदैव रहता है!

पुलिस का नाम सुनते ही आन-बान और शान का प्रतीक मानी जाने वाली खाकी वर्दी पहने, हाथ में डंडा लिए पुलिसकर्मी की रोबीली तस्वीर उभरकर सामने आ जाती है लेकिन यदि इस रोबीली आवाज़ के पीछे की तस्वीर का दूसरा पहलू देखें, तो उसके पीछे छिपे हुए दर्द को बयां करने के लिए शब्दकोश के शब्द शायद कम पड़ जाएं।

 

जनता की सुरक्षा करते पुलिसकर्मी खुद कितने सुरक्षित?

कड़कड़ाती हुई ठंड हो, गर्मी, बरसात या फिर आंधी तूफान! कानून, फर्ज़ व ईमान की बेड़ियों में जकड़े पुलिसकर्मी, जो खतरों से जूझते हुए वीआईपी से लेकर आम नागरिकों की सुरक्षा में मुस्तेदी से तत्पर नज़र आते हैं।

 

वे ही पुलिस के जवान खुद कितने ही खतरों पर खेलकर, अपनी जान की भी परवाह ना करते हुए, असामाजिक तत्वों से राष्ट्रीय व निजी संपत्तियों की चौबीस घंटे 365 दिन सुरक्षा करते हैं, तब कहीं जाकर हम अपने देश में आज़ादी से सांस लेते हुए चैन से सो पाते हैं।

 

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यदि एक दिन भी पुलिस अपना कार्य करना बंद कर दे, तब चारों तरफ ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बहन-बेटियों, माताओं और बुज़ुर्गों की खुलेआम बेइज़्ज़ती करते नज़र आएंगे।

 

यदि वे काम ना करें, तब हम अपने घर में भी स्वयं को असुरक्षित महसूस करेंगे। अपराध का ग्राफ और अपराधियों के हौसले दोनों ही बुलंद हो जाएंगे।

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