सबसे पहले आप को बता दें कि हरिद्वार धरम नगरी के अलावा खनन नगरी के रुप में अपनी पहचान बनाने में कामयाबी के शिखर पर है यहां पर परमिशन होने पर शर्तों और नियमों को ताक में रखकर जमकर धरती का दोहन किया जाता है साथ ही बिना परमिशन केरात दिन बेखौफ होकर खनन को अंजाम दिया जाता जिसमे संबंधित विभाग की भूमिका संदिग्ध नजर आती है
क्यों कि गौर से देखिए यह वीडियो जिसमें खनन आधिकारी प्रदीप कुमार साफ कह रहे हैं कि जांच होगी और मौके पर जो भी वाहन मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी
लेकिन खनन आधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो पांच ट्रैक्टर ट्राली रेता से भरे हुए मिले जिन्हे बिना किसी कार्यवाही के सिडकुल थाने की निगरानी में नुमाइश की तरह खड़े कर दिए गए ताकि खनन माफियायों से विस्तृत वार्ता की जा सके
पकड़े गए ट्रैक्टर ट्रालियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एक पत्रकार से दूरभाष पर हुई बातचीत में खनन आधिकारी प्रदीप कुमार कहते नजर आ रहे हैं कि देखा जाएगा ये वही खनन आधिकारी हैं जो वीडियो में कार्यवाही की बात करते हैं लेकिन फोन पर बातचीत में कह रहे हैं देखा जाएगा साथ ही बातचीत में यह भी कह रहे हैं कि पैमाईस में पता नहीं चल सकता क्यों कि और भी ट्रैक्टर चल रहे हैं
अब आप सोचिए कि सरकार ने राजस्व की चोरी रोकने और राजस्व इजाफा के लिए बड़ी ही उम्मीदों के साथ एक आधिकारी के रुप में नियुक्त किया है ताकि अवैध रूप से प्रथ्वी या राजस्व संपदा का दोहन न हो लेकिन जब डॉक्टर ही दवा के स्थान पर जहर देगा तो फिर मरीज का तो राम नाम सत्य होना सुनिश्चित है
फिलहाल अभी तक पकड़े गए ट्रैक्टरों पर कोइ भी ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है गोपनीय जानकारी के मुताबिक माफियायों की गिप्तगू जारी है ताकि बिना मुकदमे के टेंशन फ्री हो जाया जाए